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कविता--कुदरत का कहर


कविता--कुदरत का कहर

 प्रकृति हो रही होने अब रुस्ट
सबकुछ हो रहा अब नष्ट

आधुनिकता के अंधी दौड़ में
नष्ट किया हमने संपदा पृथ्वी में

आज वातावरण गर्म हो रही है
जहरीली गैसें बढ़  रही है

क्या हमारी धरती पर वह समा आएगी
 यह भी  मंगल, बुध जैसेखोज का विषय बन जाएगी..!!

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सीमा..✍️💕
©®
#दैनिक प्रतियोगिता

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8 Comments

Swati chourasia

20-Sep-2022 07:47 PM

बहुत खूब 👌

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Suryansh

16-Sep-2022 07:37 AM

Wahhhh Outstanding

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Renu

31-Aug-2022 01:48 PM

👍👍

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